अच्छे दिन का वादा करके सत्ता में आने वाली 'मोदी सरकार ' अभी तक देशवासियों के लिए तो अच्छे दिन नहीं ला पायी है पर कुछ लोगों के अच्छे दिन जरूर आ गए हैं, जिसमे सबसे नया मामला ललित मोदी का है। ललित मोदी को तो हम सब जानते हैं और उनपर लगे आरोपों से भी सब वाकिफ हैं, जिसमें ७०० करोड़ के गबन, फेमा का उल्लंघन जैसे आरोप शामिल हैं और वो प्रवर्तन निदेशालय (E.D) की नज़र में देश के भगोड़े हैं। २०१० से ही वो देश से बाहर ब्रिटेन में रह रहे हैं और E.D ने उनके नाम का ब्लू कार्नर नोटिस भी जारी किया हुआ है। अब हमारे देश की विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज उनकी मदद करने के कारण विपक्ष के निशाने पर हैं, जिनपर आरोप है की उन्होंने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया और एक आरोपी को यात्रा करने के दस्तावेज़ लेने में मदद की जिसके कारण वो ब्रिटेन के बाहर जा सके।
पहले ललित मोदी पर ब्रिटेन से कहीं भी बहार जाने पर पाबन्दी थी और उसका कारण था U.P.A सरकार का एक सर्कुलर। पर संडे टाइम्स के हवाले से आई रिपोर्ट से पता चला की किस तरह ललित मोदी ने सुषमा स्वराज से मदद मांगी और कहा कि उन्हें पत्नी के कैंसर ऑपरेशन के लिए पुर्तगाल जाना है पर उसे पिछले सर्कुलर के कारण जरुरी दस्तावेज नहीं मिल रहे हैं क्यूंकि इससे दोनों देश के द्विपक्षीय रिश्तों पर असर पड़ेगा। इसपर सुषमा स्वराज ने वहां के एक M.P कीथ वाज़ से बात की और कहा अगर ब्रिटिश कानून के मुताबिक उन्हें जरूरी दस्तावेज़ दिए जा सकते हैं तो उससे हमारी सरकार को कोई दिक्कत नहीं है और इसके २४ घंटे के अंदर उसको सारे दस्तावेज़ मिल गए।
अब सारा मामला सामने आते ही पूरा विपक्ष मोदी सरकार को घेरने में लग गया है और सुषमा स्वराज के इस्तीफे की मांग कर रहा है और पूरी सरकार और उसके सहयोगी दल सुषमा स्वराज के साथ खड़ा नज़र आ रहा है। सुषमा स्वराज ने ट्वीट करके कहा है की उन्होंने जो कुछ भी किया वो मानवीयता के आधार पर किया क्योंकि ललित मोदी को पत्नी के ऑपरेशन के लिए इस्तांबुल जाना जरुरी था। बीजेपी के सारे मंत्री उनके इस फैसले को सही करार दे रहे हैं और कह रहे हैं कि किसी व्यक्ति की मानवीयता के आधार पर मदद करना कोई अपराध नहीं है। पर शायद हमारे देश के नेता सत्ता में आने के बाद अपनी ही कही बातों से मुकर जाते है और ये भी नहीं सोचते इससे देशवासियों की उमीदों का क्या जिससे सरकार बड़े बड़े वादे करके वोट मांगते हैं और फिर अपनी ही बातों से मुकर जाते हैं।
अगर बात सिर्फ मानवीयता की होती तो क्यों किसी को कोई दिक्कत आती पर यहाँ किसी अपराधी को फायदा पहुचाने की बात है जिसे मानवीयता की आड़ में छुपाया जा रहा है। कुछ तथ्य ऐसे भी सामने आये हैं जिससे ये पता चलता है की सुषमा स्वराज के और उनके परिवार के ललित मोदी के साथ पुराने रिश्ते हैं। कुछ ऐसे इ-मेल भी सामने आये हैं जिसमें स्वराज कौशल (सुषमा स्वराज के पति ) ने अपने भतीजे के एडमिशन के लिए ललित मोदी की मदद ली थी। सारे इ-मेल इस लिंक पर क्लिक करके देखे जा सकते हैं http://t.co/R3dExQEp23
अगर सारी कड़ियों को जोड़कर देखा जाए तो ये सिर्फ मानवीयता के आधार पर किया हुआ फैसला नज़र नहीं आता और साफ़ नज़र आता है की ये फैसला संवैधानिक रूप से बिलकुल गलत है और कानून को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया गया है। हर जागरूक नागरिक आज यही जानना चाहता है कि :
और भी बहुत सारे सवाल मन में आते हैं जिससे सरकार के दोहरे पैमाने का पता चलता है। हमारे देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह सबसे पहले सुषमा जी के बचाव में आये और उनके फैसले को बिलकुल सही बताया, पर क्या वो ये बता सकते हैं कि एक आदमी जो देश के कानून में दोषी है उसके साथ मानवीयता तो दिखा दी आपने पर जब कश्मीर के बाढ़ पीड़ितों को मुआवजे के नाम पर Rs 47 से Rs 300 दिए जाते हैं तब आपको मानवीयता याद नहीं आती। या फिर जब उत्तर प्रदेश में किसी पत्रकार को जिन्दा जल दिया जाता है तब मानवीयता भूल जाते हैं आप। क्या आपको इन मामलो में दखल देने की जरुरत नज़र नहीं आती जब ये खबर न्यूयॉर्क के अखबारों तक पहुंच चुकी है। अगर मानवीयता दिखानी है तो यहाँ दिखाइए क्योँकि ये लोग मासूम हैं और इन्साफ मांग रहे हैं।
अमित शाह जी भोपाल गैस त्रासदी का नाम लेकर इस अपराध को छुपा नहीं सकते क्यूंकि दूसरों के कीचड़ से कभी अपना कीचड़ साफ़ नहीं होता बल्कि और गन्दगी ही बढ़ाता है। क्या आप लोगों अभी भी कांग्रेस की गलतियां ही गिनवाते रहेंगे या फिर कुछ विकास का काम भी करेंगे जिसके लिए जनता ने आपकी पार्टी को चुना है। कांग्रेस को अपनी गलतियों की सजा मिल चुकी है इसीलिए वो आज सत्ता के बाहर है। गलतियां गिनने का काम जनता पर छोड़िये क्यूंकि फिर कांग्रेस के पास भी ऊँगली उठाने के लिए गोधरा और कंधार जैसे बहुत मसले हैं। इसीलिए आप ऐसा करके दूसरों के लिए आगे गलती करने का रास्ता खोल रहे हैं।
सबसे आखिर में हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी जो अभी तक इस मसले पर चुप्पी साधे बैठे हैं जबकि छोटी से छोटी बात पर भी उनका बयान जरूर आता है कृपया ये बताने का कष्ट करेंगे की क्या आज हमारे देश को ७०० करोड़ की जरुरत नहीं है या फिर जैसे हमारे देश में ५० करोड़ की गर्लफ्रेंड हो सकती है वैसे ही ७०० करोड़ (गबन का पैसा ) का फैमिली फ्रेंड भी हो सकता है। या फिर आज हमारा देश इतना अमीर हो गया है की उसे ७०० करोड़ की जरुरत नहीं है। आज हमारे देश में जब किसान क़र्ज़ के कारण आत्म हत्या कर रहे हैं तो ये ७०० करोड़ से हम ७०००० लोगों की १-१ लाख की मदद तो कर ही सकते हैं या यहाँ मानवीयता का तकाजा आपकी सरकार को नज़र नहीं आता। क्या यही है आपके अच्छे दिन का वादा।
अब सारा मामला सामने आते ही पूरा विपक्ष मोदी सरकार को घेरने में लग गया है और सुषमा स्वराज के इस्तीफे की मांग कर रहा है और पूरी सरकार और उसके सहयोगी दल सुषमा स्वराज के साथ खड़ा नज़र आ रहा है। सुषमा स्वराज ने ट्वीट करके कहा है की उन्होंने जो कुछ भी किया वो मानवीयता के आधार पर किया क्योंकि ललित मोदी को पत्नी के ऑपरेशन के लिए इस्तांबुल जाना जरुरी था। बीजेपी के सारे मंत्री उनके इस फैसले को सही करार दे रहे हैं और कह रहे हैं कि किसी व्यक्ति की मानवीयता के आधार पर मदद करना कोई अपराध नहीं है। पर शायद हमारे देश के नेता सत्ता में आने के बाद अपनी ही कही बातों से मुकर जाते है और ये भी नहीं सोचते इससे देशवासियों की उमीदों का क्या जिससे सरकार बड़े बड़े वादे करके वोट मांगते हैं और फिर अपनी ही बातों से मुकर जाते हैं।
अगर बात सिर्फ मानवीयता की होती तो क्यों किसी को कोई दिक्कत आती पर यहाँ किसी अपराधी को फायदा पहुचाने की बात है जिसे मानवीयता की आड़ में छुपाया जा रहा है। कुछ तथ्य ऐसे भी सामने आये हैं जिससे ये पता चलता है की सुषमा स्वराज के और उनके परिवार के ललित मोदी के साथ पुराने रिश्ते हैं। कुछ ऐसे इ-मेल भी सामने आये हैं जिसमें स्वराज कौशल (सुषमा स्वराज के पति ) ने अपने भतीजे के एडमिशन के लिए ललित मोदी की मदद ली थी। सारे इ-मेल इस लिंक पर क्लिक करके देखे जा सकते हैं http://t.co/R3dExQEp23
अगर सारी कड़ियों को जोड़कर देखा जाए तो ये सिर्फ मानवीयता के आधार पर किया हुआ फैसला नज़र नहीं आता और साफ़ नज़र आता है की ये फैसला संवैधानिक रूप से बिलकुल गलत है और कानून को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया गया है। हर जागरूक नागरिक आज यही जानना चाहता है कि :
- क्या सुषमा स्वराज को ललित मोदी पर चल रहे केस का पता नहीं था जबकि उनकी बेटी खुद ललित मोदी के वकीलों की टीम में हैं।
- क्या कोई अपराधी सीधे हमारे देश के विदेश मंत्री को फ़ोन कर सकता है , और हमारी विदेश मंत्री बिना किसी से बताये उसकी मदद कर सकती हैं।
- जब ललित मोदी पर E.D ने इतने आरोप लगाये हैं तो क्या सुषमा जी को फैसला लेने से पहले E.D से बात चाहिए थी।
- अगर मानवीयता के आधार पर फैसला लिया गया तो देश के १२५ करोड़ लोगों को अभी तक क्यों अँधेरे में रखा गया और क्यों उसी वक्त इसको सार्वजानिक नहीं किया गया।
- अगर ब्रिटिश मीडिया से ये खबर निकल कर नहीं आती तो और कब तक इस बात को छुपाया जाता।
- अगर सिर्फ मानवीयता के आधार पर ये फैसला था तो क्यों नहीं ललित मोदी को ऑपरेशन के बाद समर्पण करने को कहा गया।
- क्यों यात्रा दस्तावेजों को सिमित समय के लिए ही देने को नहीं कहा गया और दो साल का वीसा मिला ललित मोदी को जिसके कारण वो कहीं भी आ जा सके। ( अभी भी वो वेनिस में हैं )
- क्या सुषमा जी अपना २६ फरवरी २०१० को संसद में दिए अपने भाषण को भूल गयी थी जिसमे उन्होंने भ्रस्टाचारियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्यवाही की मांग की थी।
और भी बहुत सारे सवाल मन में आते हैं जिससे सरकार के दोहरे पैमाने का पता चलता है। हमारे देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह सबसे पहले सुषमा जी के बचाव में आये और उनके फैसले को बिलकुल सही बताया, पर क्या वो ये बता सकते हैं कि एक आदमी जो देश के कानून में दोषी है उसके साथ मानवीयता तो दिखा दी आपने पर जब कश्मीर के बाढ़ पीड़ितों को मुआवजे के नाम पर Rs 47 से Rs 300 दिए जाते हैं तब आपको मानवीयता याद नहीं आती। या फिर जब उत्तर प्रदेश में किसी पत्रकार को जिन्दा जल दिया जाता है तब मानवीयता भूल जाते हैं आप। क्या आपको इन मामलो में दखल देने की जरुरत नज़र नहीं आती जब ये खबर न्यूयॉर्क के अखबारों तक पहुंच चुकी है। अगर मानवीयता दिखानी है तो यहाँ दिखाइए क्योँकि ये लोग मासूम हैं और इन्साफ मांग रहे हैं।
अमित शाह जी भोपाल गैस त्रासदी का नाम लेकर इस अपराध को छुपा नहीं सकते क्यूंकि दूसरों के कीचड़ से कभी अपना कीचड़ साफ़ नहीं होता बल्कि और गन्दगी ही बढ़ाता है। क्या आप लोगों अभी भी कांग्रेस की गलतियां ही गिनवाते रहेंगे या फिर कुछ विकास का काम भी करेंगे जिसके लिए जनता ने आपकी पार्टी को चुना है। कांग्रेस को अपनी गलतियों की सजा मिल चुकी है इसीलिए वो आज सत्ता के बाहर है। गलतियां गिनने का काम जनता पर छोड़िये क्यूंकि फिर कांग्रेस के पास भी ऊँगली उठाने के लिए गोधरा और कंधार जैसे बहुत मसले हैं। इसीलिए आप ऐसा करके दूसरों के लिए आगे गलती करने का रास्ता खोल रहे हैं।
सबसे आखिर में हमारे प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी जो अभी तक इस मसले पर चुप्पी साधे बैठे हैं जबकि छोटी से छोटी बात पर भी उनका बयान जरूर आता है कृपया ये बताने का कष्ट करेंगे की क्या आज हमारे देश को ७०० करोड़ की जरुरत नहीं है या फिर जैसे हमारे देश में ५० करोड़ की गर्लफ्रेंड हो सकती है वैसे ही ७०० करोड़ (गबन का पैसा ) का फैमिली फ्रेंड भी हो सकता है। या फिर आज हमारा देश इतना अमीर हो गया है की उसे ७०० करोड़ की जरुरत नहीं है। आज हमारे देश में जब किसान क़र्ज़ के कारण आत्म हत्या कर रहे हैं तो ये ७०० करोड़ से हम ७०००० लोगों की १-१ लाख की मदद तो कर ही सकते हैं या यहाँ मानवीयता का तकाजा आपकी सरकार को नज़र नहीं आता। क्या यही है आपके अच्छे दिन का वादा।
जय हिन्द !!!!!
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